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Poem on Cow in Hindi गौ माता पर कविता

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Poem on Cow in Hindi

cow

गोलकुल कान्या का धाम न होता

जग में गौ माता का नाम न होता

अमृत मंथन से निकली गौ माते

धर्मशास्त्र है ये बात बताते।

पूजी जाती है गाय युगों से

संस्कृति यही भारत की सदियों से।

धर्म में भी ऐसा काम न होता

गोकुल कान्या का धाम न होता।

जग में गौ माता का नाम न होता  ….

दूध दही घी मखन खाते हैं

गोबर से आंगन लिपवाते हैं

गौमूत्रजनित बनती औषधियां

गोधन से सजती कृषि की दुनिया।

गोलोचन का भी काम न होता,

गोकुल कान्या का धाम न होता

जग में गौ माता का नाम न होता  ….

मूक हमारी गौ माता रहती है

जाने पीड़ा कैसे सेहती है

पैसे की खातिर काटी जाती

कितने टुकड़ों में बांटी जाती

पशुधन का कोई दाम न होता

गोकुल कान्या का धाम न होता।

जग में गौ माता का नाम न होता  ….

आओ हम सब यह प्रण यह धारें

गौवध रोकेंगे मिलकर सारे

मजहब में दुनिया को क्यों बांटें

दोषी वो जो गौ माँ को काटें

बदनाम खुदा जा राम न होता

गोकुल कान्या का धाम न होता।

जग में गौ माता का नाम न होता  ….(प्रीति सुराना )

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