पैसा ही सब कुछ नहीं होता दुनिया में ऐसा बहुत से लोग कहते हुए सुने हैं किन्तु यह भी एक सच्चाई है के पैसों के बिना जिंदगी का गुजारा नहीं हो सकता। बगैर पैसों के हम अपनी मनपसंद की चीज़ों को हासिल नहीं कर सकते हैं और यह दुनिया पैसों के ललेन -देन से ही चलती है। बेशक मौजूदा दौर में 10, 20 पैसे चवन्नी, अठन्नी नहीं चलते किन्तु आज हम जिस पैसे को चवन्नी, अठन्नी जा फिर रुपये के रूप में जानते हैं मानव जीवन में इसकी शुरुयात कैसे हुई यह शायद हममे से बहुत लोग नहीं जानते होंगे।
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तो चलिए जानते हैं फिर के पैसे दुनिया में कैसे आये ? इसके अनेक नाम हैं पैसे को धन, मुद्रा, नोट, रूपए और लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में इसे मुद्रा कहा जाता था उस वक्त जब लोगों को किसी चीज़ की जरूरत पड़ती थी तब वह आपस में चीज़ों के आदान प्रदान से अपनी जरूरतों की चीज़ों को हासिल करते थे।
अगर हम इतिहास पर नज़र डालें तो हम देखते हैं के सालों पूर्व धातुओं के टुकड़ों का मुद्रा के रूप में प्रयोग के प्रणाम मिलते हैं। यह प्रयोग एशिया में लींडियस ने किया था। यह प्रयोग लोगों को पसंद आया था। धातु के टुकड़ों की कीमत धातु उपलब्धा के अनुरूप होती थी। इन मुद्रा रूपी टुकड़ों का खुरदरा रूपी आकार रहता था। ज्यादातर सोने, चांदी अरु तांबे का प्रयोग होता था।
कुछ समय के बाद चीन में 9 वीं शताब्दी के दौरान कागज की मुद्रा उपयोग में लायी गई। इसके बाद यूरोप में 17 वीं शताब्दी के समय कागज की मुद्रा का प्रचलन बढ़ा और मुद्रा की कई कमियों को भी दूर किया गया। कई देशों की सरकारें इस कागजी मुद्रा के प्रयोग को अपनाने लगीं। कागज पर उसकी कीमत भी छापी जाती थी।
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