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Nobel Prize History in Hindi नोबेल पुरस्कार का इतिहास

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Nobel Prize Information (Essay) नोबेल पुरस्कार विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार है तथा प्रत्येक वर्ष यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, चिकित्सा विज्ञान तथा अर्थशास्त्र व शान्ति के लिए विश्व हित में कार्य किया हो। सिर्फ अर्थशास्त्र क्षेत्र को छोड़कर जिसकी शुरुयात 1968 में की गयी, ये 1901 से अनवरत दिए जा रहे हैं प्रत्येक क्षेत्र में एक नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। जब कभी किसी एक विषय में पुरस्कार पाने योग्य व्यक्तियों की संख्या एक से अधिक होती है तो पुरस्कार स्वरूप दी जाने वाली नकद राशि सब में बराबर बराबर बांट दी जाती है।

Nobel Prize

किसी वर्ष किसी क्षेत्र विशेष के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं होता तो उस वर्ष तो उस वर्ष उस क्षेत्र का पुरस्कार नहीं दिया जाता है। क्या आप जानते हैं के यह पुरस्कार महाशय कौन थे ? यह स्वीडन में जन्म एक वैज्ञानिक था जिसका पूरा नाम अल्फ्रेंड बर्नहार्ड नोबेल था इन्होने विश्व को डाइनामाईट सरीखा विस्फोटक दिया। इस विस्फोटक से नोबेल साहब ने इतना धन कमाया  पहले अपनी जमा पूंजी 10 लाख डॉलर की कर ली। तब उन्होंने एक वसीयतनामा लिखा के मरने के बाद मेरी जमा राशि एक बैंक में जमा कर दी जाए व इससे मिलने वाले ब्याज से भौतिक, रसायन, चिकित्सा, अर्थशास्त्र और विश्व शान्ति के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने वालों को पुरुस्कृत किया जाए।

नोबेल पुरस्कार में नकद राशि के अतिरिक्त एक स्वर्णपदक सर्टिफिकेट होता है स्वीडन के स्टॉकहोम में 21 अक्टूबर 1833 को एक गरीब परिवार में जन्में नोबेल के पिता सेना में इंजीनीयर थे। 1842 में नोबेल अपने परिवार के साथ अपने पिता के पास पीट्सवर्ग चला गया। वहीँ रहकर उसने रसायन शास्त्र का अध्ययन किया व पिता की फैक्ट्री में काम किया  दुर्भाग्य से फैक्ट्री का दिवाला निकल गया स्वीडन लौटने के बाद भी उसने कई कष्ट झेले पर किस्मत उसके साथ खिलबाड़ करती रही यहाँ तक के इस विस्फोटक के कारण उसके भाई को जान से हाथ धोना पड़ा।  1822 उसके लिए शुभ बनकर आया  देखा के ‘नाइट्रोग्लीसरीन’ नामक विस्फोट डिब्बे से बाहर रिसने लगा है। यह डिब्बा एक विशेष प्रकार की मिट्टी ‘कीसलगुर’ में पैक था। उसने पाया के इस मिटटी के चूसने के बाद ‘नाइट्रोग्लीसरीन’  प्रयोग अपेक्षाकृत आसान हो गया है एवं पहले से अधिक सुरक्षात्मक भी।

इस प्रकार नोबेल को इस खतरनाक विस्फोटक ‘नाइट्रोग्लीसरीन’  को काम में लेने का सुरक्षित साधन मिल गया। इस सुरक्षित साधन का नाम उसने डायनामाइट रखा इसके बाद नोबेल के भाग्य ने पलटा खाया और उसके कई कारखाने शुरू हो गए। अविष्कारों की इस कड़ी में उसने 1887 में एक ‘बैलसिटाईट’ नामक पदार्थ खोजा यह धुआं रहित नाईट्रोग्लिसरीन पोडर था। अनेक देशों ने इस पाउडर को विस्फोट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । पूरी दुनिया में उसके नाम का डंका वजने लगा धन की वर्षा होने लगी। 10 दिसंबर 1896 में जब उसकी मृत्यु हुई तो उनकी वसीयत के अनुसार उनकी बैंक की पूँजी बैंक में जमा कर दी गयी और उसके ब्याज से प्रत्येक वर्ष नोबेल पुरस्कार दिए गए। इस महान आविष्कार वैज्ञानिक को सम्मान देने के लिए जब विश्व में 402 वे तत्व की खोज की गयी तो उस तत्व का नाम नोबेल के नाम पर नोबेलियम रखा गया। – रूप किशोर माथुर

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