Bakrid Story : एक बार एक हजरत इब्राहिम नाम का एक व्यक्ति था जिसे अल्लाह का बंदा माना जाता था। एक बार ख़ुदा ने उसकी परीक्षा लेने के लिए सपने में उन्हें आदेश दिया के उसकी सच्ची आस्था को तभी मंजूर किया जाएगा जब वह अपने अल्लाह के लिए अपनी सबसे कीमती और अजीज चीज़ को कुर्बान करेंगे। इब्राहिम के लिए सबसे कीमती और अजीज़ तो उनका बेटा था जिसे वह बेहद प्यार करते थे और दूसरी तरफ उसकी अल्लाह के लिए भी बेहद आस्था थी।
किन्तु अल्लाह का हुक्म ठुकराना इब्राहिम के लिए तौहीन के समान था इसीलिए उसने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निश्चय किया यह उसके लिए कोई आसान काम नहीं था वो नहीं चाहता था के कुर्बानी देते समय उसकी भावनाएं उसके आड़े आये इसीलिए उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने बेटे की कुर्बानी दी जब इब्राहिम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई उसने देखा के उसका बेटा तो बिल्कुल सुरक्षित वहां खड़ा है और उसकी जगह एक बकरे की बलि दी जा चुकी थी और अल्लाह ने इब्राहिम के इस जज्बे से खुश होकर उसके बच्चे की जान बक्श दी थी जिसके बाद बकरीद का यह पर्व मनाया जाने लगा ईद -उल -जुहा के नाम से भी जाना जाता है।
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