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केदारनाथ का इतिहास -Kedarnath History in Hindi

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Kedarnath History in Hindi

केदारनाथ एक धार्मिक स्थल होने के इलावा एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है यहां हर वर्ष लाखों लोग घूमने आते हैं। यह धार्मिक स्थल उतर प्रदेश के गढ़वाल मंडल में बदरीनाथ से लगभग 42 किलोमीटर दूर समुन्द्र की सतह से 3580 मीटर की ऊंचाई पकार बसा एक बड़ा ही लोकप्रिय स्थल है।

Kedarnath History

Kedarnath Katha 

हिमालय की चोटी पर भगवान विष्णु के अवतार में महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या कर रहे थे। उनकी भक्ति से खुश होकर भोले नाथ प्रगट हुए और उनकी प्रार्थना के अनुसार भोले नाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।

केदारनाथ में ऊंचे ऊंचे गगंचुनभी बर्फ से ढके पर्वत , पानी के बड़े बड़े झरने , पर्वतों के बीच बहता हुआ ठंडा जल दूर दूर तक फैले प्रकृति के मनमोहक नजारे हर किसी का दिल खींच लेते हैं। यहां के अलौलिक नजारे ह्रदय को शांति प्रदान करते हैं।

केदारनाथ जाने का उचित समय है मई , जून और सितम्बर के महीने में भी जा सकते हैं। जुलाई और अगस्त के महीनों में यहां अधिक बारिश होती है। ओक्टुबर से अप्रैल तक जहां ठंड का मौसम रहता है। सर्दियों के मौसम में यहां पर तीर्थ यात्रियों का आना बिल्कुल ही बंद रहता है।

केदारनाथ मंदिर यहां का मुख्य दर्शनीय स्थल है देश के कोने कोने से यहां ज्यादातर हिन्दू लोग पूजा के लिए आते हैं। इस मंदिर में एक बड़ा शिवलिंग भी स्थापित है इसके इलावा यहां पर पार्वती , कुंती , गणेश और पांडवों की मूर्तियों के आप दर्शन कर सकते हैं। ऐसा माना गया है के महाभारत के युद्ध समय पाण्डव इस स्थान पर आये थे और उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था।

गांधी सरोवर –  यह सरोवर केदारनाथ से लगभग 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यह बहुत बड़ा सरोवर है। पहले इसे चोरावती के नाम से भी जाना जाता था। परन्तु 1948 में महात्मा गांधी की अस्थियों के जहां पर विसर्जन करने के बाद इस तालाब का नाम गांधी सरोवर रख दिया गया।

पंचगंगा – केदारनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर चार जल धराएं क्षीय गंगा , मधुगंगा , सरस्वती स्वर्णद्वारी नदी से आकर मिलती है। यहां पर जल धराओं के मिलने का शोर डरावना होता है। इन्ही पांच नदियों के मिलने के कारण ही इसे पंचगंगा कहा जाता है।

वासुकी ताल – यह केदारनाथ से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां की सुन्दरता हर किसी का दिल मोह लेती है। यह एक झीलनुमा ताल के समान है। यह स्थान पिकनिक के लिए सबसे श्रेष्ठ समझा जाता है। जिस स्थान पर सोम नदी और मंदाकिनी नदी का संगम देखने को मिलता है उस स्थान को सोनप्रयाग कहते हैं। यहां की ख़ूबसूरती देखने योग्य है।

जाने का रास्ता –

दिल्ली से केदारनाथ 346 किलोमटर की दूरी पर स्थित है यदि आप हरिद्वार के रास्ते जाते हैं। बाकी जगहों से भी आप बसों के द्वारा आसानी से केदारनाथ पहुंच सकते हैं जैसे मसूरी , बद्रीनाथ , गंगोत्री ,काठगोदाम आदि स्थानों से भी बसे नियमित रूप से केदारनाथ जाने वाली यात्रियों के ले जाती हैं ये बसें आपको सोनप्रयाग तक ले जाएंगी इसके बाद यहां से केदारनाथ तक की दूरी 19 किलोमीटर पैदल ही तय करनी पडती है।

कुछ और इतिहासिक जानकारियाँ – 

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