Short essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi – लाल बहादुर शास्त्री भारत के दुसरे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय , उतर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता श्री वास्तव एक शिक्षक थे और माता का नाम रामदुलारी था। लाल बहादुर शास्त्री बनारस के एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे।
एक बार वे अपने मित्रों के साथ मेला देखने के लिए गंगा पार गये। पूरा दिन मेला देखने के बाद जब साथी वापिस लौटने लगे तो लाल बहादुर पीछे रह गए सब मित्र नौका पर बैठ गंगा पार हो गए। लाल बाहदुर के पास इतने पैसे भी नहीं थे के वे नौका का भाड़ा दे पाते। इस बालक ने किसी साथी से उधार मांगने जा किसी की कृपया की इच्छा करना अपने गौरव के खिलाफ़ समझा। दृढ़ इच्छा का सहारा ले वह गंगा में कूद पड़ा और लगभग आधे मील के पाट को पार कर गया। गंगा की गहराई और चौड़ाई को दृष्टि में रखते हुए उसे पारकर जाना साहसी का ही काम था।
गांधी जी के राजनितिक आन्दोलन में लाल बहादुर ने 1930 से 1944 तक का समय कारावासों में भिन्न -भिन्न अवसरों पर गुजारा जेल में रहते हुए भी लाल बहादुर शास्त्री जी ने कभी किसी प्रकार सुख -सुविधा नहीं मांगी। यद्दपि वे चाहते तो राजनितिक कैदी होने के कारण उन्हें आसानी से हासिल कर सकते थे। शास्त्री जी ने अपने जीवन काल के 9 वर्ष जेल में गुजारे थे ।
सन 1951 में आप भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव चुने गए . 1952 में आपको देश का पहला रेल और संचार मंत्री बनाया गया । शास्त्री जी को वर्ष 1966 में भारत का सर्वाच्च सम्मान भारत रत्न से समानित किया गया था ।
आपकी प्रतिभा और निष्ठा को देखते हुए आपको 9 जून 1964 को दुसरे प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया और जब भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध हुआ तभी शास्त्री जी के नारे “जय जवान जय किसान “ ने पूरे देशभर में एक नयी उर्जा का संचार किया था । इसके बाद युद्ध को समाप्त करने के उदेश्य से शास्त्री जी रूस के ताशकंद शहर गए और समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ दिनों के बाद 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी का देहांत हो गया था ।
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