Navratri essay in Hindi नवरात्रि पर निबंध – नवरात्रि का पर्व भारत के प्रमुख्य त्योहारों में से एक है यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें इन नौ रातों को माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा श्रद्धापूर्वक की जाती है। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है नवरात्रि से अगले दिन दहशरा का त्योहार मनाया जाता है। माता के भक्त इन्ही दिनों व्रत रखते हैं और माता की पूजा -अर्चना करते हुए उनसे वर मांगते हैं। नवमी वाले दिन लोग नौ कन्याओं को देवी के रूप में पूजते हैं।
नवरात्रि के दिनों में रामलीला का आयोजिन किया जाता है। भारत में नवरात्रि का पर्व अलग -अलग राज्यों में अलग -अलग ढंग से मनाया जाता है। गुजरात में इस त्योहार के समय हर रात्रि को गरबा और डांडिया होता है। गरबा आरती से पूर्व किया जाता है और इसके पश्चात डांडिया खेला जाता है।
माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके नाम –
माना जाता है कि इस जगत की समस्त शक्तियों के उद्यम का स्रोत आदि शक्ति है नवरात्र में हम आदि शक्ति के ही नौ रूपों की उपासना करते हैं मां का हर रूप हमें नारी की असीम शक्तियों का भान कराता है उनके हर रूप में गहन अर्थ निहित होते हैं इन्हें जीवन में अपनाकर हर महिला शक्ति संपन्न बन सकती है अपने जीवन में हर बाधा को दूर कर सकती है।
शैलपुत्री :
अपने पति शिव का अपमान होने पर मां आदिशक्ति ने सती रूप में खुद को पिता के यज्ञ कुंड में ही भस्मभूत कर दिया था। बाद में उन्होंने हिमालय राज की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाई। शैलपुत्री के सब रूप में हमें स्वाभिमानी होने का संदेश मिलता है परिस्थितियां कितनी भी विकट हों लेकिन अपने स्वाभिमान को बनाए रखना चाहिए जीवन तभी सही मायनों में सफल होता है।
ब्रह्मचारिणी :
भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए पार्वती ने कई सालों तक तपस्या की और उनकी अर्धांगिनी बनी असंख्य बरसों तक तप करने के कारण मां के इस रूप को ब्रह्म चारिणी कहा गया तब के वक्त पार्वती जी को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा किंतु वह अपने तक निर्णय से पीछे नहीं हटे मां के इस रूप में हमें दृढ़ता का महत्व मालूम होता है जीवन में जो लक्ष्य हम बना रहे हैं उसे पाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ रहना बहुत जरूरी होता है।
चंद्र घंटा :
मां चंद्रघंटा के रूप में आदि शक्ति असुरों को भयभीत करती है मां का जो रूप हमें बताता है कि साहस के बल पर हर बुराई का सामना किया जा सकता है उसे परास्त किया जा सकता है आज समाज में जिस तरह महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं उनका जीवन मुश्किलों से भरा है ऐसे में वह अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर मां चंद्रघंटा की तरह आसूरी शक्तियों का दमन कर सकती है।
कुष्मांडा :
कुष्मांडा मां को आदिशक्ति भी कहते हैं इन्हें ही संपूर्ण ब्राह्मण को रचने वाला माना गया है प्रकृति जीव सभी मां की उर्जा से ही गतिमान है मां का यह रूप हमें संसार में स्त्री की महत्वता का भान कराता है हर स्त्री यदि अपने भीतर मौजूद रचनात्मक को पहचान ले तो घर परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है।
स्कंदमाता :
स्कन्द जानी कार्तिकेय की माता होने के कारण मां पार्वती को स्कंदमाता नाम मिला है कार्तिकेय शिव और पार्वती के पुत्र हैं वह देवताओं के सेनापति है और बहुत ज्ञानी भी है यह ज्ञान उन्हें अपनी मां से प्राप्त हुआ है कहा जाता है कि महाकवि कालिदास पर भी मां स्कंदमाता की कृपा थी मां का जो रूप हमें बताता है कि स्त्री हो या पुरुष हर कोई ज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी होता है।
कात्यायनी :
एक महान ऋषि थे कात्यायन उन्होंने मां आदिशक्ति की तपस्या की और पुत्री रूप में उन्हें प्राप्त करने की इच्छा प्राप्त की मां ने ऋषि की पुत्री के रूप में जन्म लिया कात्यायना ऋषि की पुत्री होने के कारण उन्हें कात्यायनी कहा गया यह रूप घर परिवार में बेटी की महत्ता को दर्शाता है।
कालरात्रि :
जब जब संसार में पाप बढ़ता है आसुरी शक्तियों को आतंक बढ़ता है तब कालरात्रि प्रकट होती है मां का यह रूप बहुत ही रौद्र होता है वह आसुरी शक्तियों का नाश करती है अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैला आती है मां का यह रूप हमें इस्त्री के भीतर विद्वान अपारशक्ति का भान कराता है जब एक स्त्री अपने भीतर की शक्ति को पहचान लेती है तो वह सफल सशक्त बनती है।
महागौरी :
महागौरी का रूप बहुत ही शांत सौम्य है वह ममतामई है मां का जो रूप हमें हर परिस्थिति में संयमित रहने की सीख देता है महिलाएं घर परिवार और संबंधों का निर्वाह भली भांति करती है किंतु कई बार वह भी मुश्किल परिस्थितियों में विचलित हो जाती है समझ नहीं आता कि क्या करना चाहिए ऐसी कठिन परिस्थिति में भी संयमित रहा जाए तो हर समस्या का समाधान आसानी से हो सकता है।
सिद्धिदात्री :
मां सिद्धिदात्री जानी हरसिद्धि को देने वाली है मां हर मनोकामना और इच्छा को पूर्ण करती है स्त्रियों में विजय गुण विद्वान होता है वह भी अपने परिवार और समाज के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहती है परहित को महत्व देती है यही भावना सबके जीवन को खुशहाल बनाती है।
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