Essay on Camel in Hindi | ऊंट पर निबंध
ऊंट एक भारी-भरकम शरीर का जानवर है यह जानवर रेगिस्तान के क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पाया जाता है अन्य जानवरों की तुलना में रेगिस्तान के क्षेत्रों में खुद को अच्छे से ढाल लेने की क्षमता रखता है जिस कारण इसे रेगिस्तान के जहाज के नाम से भी जाना जाता है। इस जानवर के लगभग 34 दांत होते हैं।
ऊंट के एक छोटी पूछ होती है और चार लंबे लंबे पैर होते हैं इसकी गर्दन के पास एक कूबड़ होता है जिसमें यह अपने शरीर की फालतू चर्बी को जमा कर लेता है और समय आने पर इसे इस्तेमाल करता है। ऊंट की ऊंचाई लगभग 8 फीट तक होती है ऊंट एक ऐसा जानवर है जो के रेतीले इलाकों में बड़ी तेजी से दौड़ सकता है क्योंकि इनके पैर गद्देदार होते हैं जिस वजह से वह रेत में नहीं धंसते । जब के अन्य जानवर रेगिस्तान के इलाकों में दौड़ने की बजाय चल भी बड़ी मुश्किल से चल सकते हैं।
ऊंट एक ऐसा जानवर है जो कि कई दिनों तक बिना पानी के जिंदा रह सकता है इसके शरीर की संरचना है कुछ ऐसी होती है कि इसे प्यास बहुत कम लगती है। रेगिस्तान के क्षेत्रों में ऊंट से भार ढोने का काम लिया जाता है। ऊंट ज्यादातर रेगिस्तान और थार के इलाकों में पाए जाते हैं।
ऊँट की रफ़्तार – ऊंट रेगिस्तान में 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं। ऊंट के शरीर की चमड़ी काफी मोटी होती है जिस वजह से रेगिस्तान के क्षेत्रों में इसे पसीना बहुत कम आता है और इसे प्यास भी बहुत कम लगती है ऊंट अपने शरीर में एक समय में 25 से 35 लीटर पानी जमा करके रख सकता है। रेगिस्तान की तपती गर्मी में भी इसका शरीर ठंडा बना रहता है क्योंकि इसके शरीर में पानी की मात्रा हमेशा बनी रहती है।
शाकाहारी पशु – ऊंट एक शाकाहारी पशुओं की श्रेणी में आता है जिसका मुख्य भोजन हरी घास वृक्षों की पत्तियां अनाज एवं कटीली झाड़ियां होता है ऊंट जो भी खाता है उसका कुछ हिस्सा इसके कूबड़ में चर्बी के रूप में इकट्ठा हो जाता है। जब कभी भी ऊंट को भोजन नहीं मिलता तो जे इसी चर्बी का इस्तेमाल अपने शरीर को ऊर्जा देने के लिए करता है।
ऊंट की आंखों पर बड़े बड़े बाल उगे होते हैं जो इसे रेगिस्तान की धूल और मिट्टी से बचाते हैं इसी वजह से ऊंट रेगिस्तान की तेज आंधी में भी आसानी से चलते रहते हैं और इन्हें देखने में कोई परेशानी नहीं होती। ऊंट को बुद्धिमान जानवरों की श्रेणी में भी स्थान दिया गया है क्योंकि यदि एक बार किसी रास्ते से गुजर जाए तो यह उस रास्ते को हमेशा याद रखता है इसलिए रेगिस्तान के क्षेत्रों में वह कभी भी अपना रास्ता नहीं भटकते ऊंट के दो लंबे लंबे कान होते हैं इन कामों पर भी बड़े बड़े बाल होते हैं जो रेगिस्तान की धूल आंधी को इसके कानों में जाने से रोकते हैं।
शरीरक बनावट – ऊंट के पैरों के पंजे गद्देदार एवं बड़े बड़े होते हैं जिस कारण इनका भारी-भरकम शरीर होने के बाद भी यह मिट्टी में आसानी से चल सकते हैं ऊंट के शरीर का रंग हल्का भूरा जा गहरा भूरा होता है जब भी कभी रेगिस्तान के क्षेत्रों में तेज आंधी चलने लगती है तो यह अपने नथुने बंद कर लेता है जिस वजह से मिट्टी नाक में नहीं जा पाती।
मादा ऊंट 1 दिन में लगभग 6 लीटर से लेकर 8 लीटर दूध देती है जिसका प्रयोग हम दूध के रूप में या दूध से बनी मिठाइयां एवं आइसक्रीम के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऊंट का दूध पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है जिसमे विटामिन मिनरल्स एवं तांबा आदि पाए जाते हैं। ऊंट का दूध ऊर्जा का भरपूर भंडार माना गया है जिस वजह से यह इतना सहनशील और कठिन परिस्थितियों में में भी जिंदा रह पाता है।
ऊंटनी हर वर्ष 1 या 2 बच्चों को जन्म देती है जब ऊंटनी बच्चों को जन्म देती है तो उस वक्त उनके कूबड़ नहीं होता इसके अलावा बच्चे एक-दो दिन में ही अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं। ऊंट लगभग 40 से 50 वर्ष तक जीवित रह सकता है।
एक ऊंट एक बार में 110 लीटर से भी ज्यादा पानी पी सकता है इसके अलावा ऊंट सर्दियों के मौसम में लगभग 1 महीने से भी ज्यादा दिनों तक बिना पानी के जिंदा रह सकता है ऊंट के देखने और सुनने की शक्ति काफी तीव्र होती है ऊंट के जबड़े काफी मोटे होते हैं जिस कारण यह रेगिस्तान में पैदा होने वाले कंटीले पौधों को भी आसानी से चट कर जाते हैं। ऊंट की गर्दन लंबी होने की वजह से यह ऊंचे पेड़ों की टहनियों को भी आसानी से खा जाता है इसकी चमड़ी काफी मोटी होती है जिस वजह से इन्हें पसीना काफी कम आता है इसके पूरे शरीर पर बालों की मोटी परत जमा होती है जिस वजह से यह तेज धूप को भी आसानी से सहन कर लेता है।
पुराने समय में ऊँटों काफी प्रयोग किया जाता था जैसे कि भारतीय सेना में भी रेगिस्तान के क्षेत्रों में ऊंट की सवारी करके चारों तरफ का निरीक्षण किया जाता था इसके अलावा रेगिस्तान के क्षेत्रों में भार ढोने के लिए ऊंटों का ही सहारा लिया करते थे। किंतु आज यातायात के साधनों के आ जाने से ऊंटों की काफी कमी देखने को मिल रही है।
- ऊंट दो तरह के होते हैं एशियाई ऊंट एवं अरब के ऊंट
- एशियाई ऊंट के दो कूबड़ होते हैं जबकि अरबी ऊंट के एक कूबड़ होता है।
- तेज़ आंधी में ऊंट अपना नाक बंद कर लेते हैं।
- ऊंट के कूबड़ में पानी नहीं बल्कि चर्बी जमा होती है।
- ऊंट के दूध में काफी तत्व मौजूद होते हैं।
- यह अपनी रक्षा के लिए जोर से लात भी मार देते हैं।
- एक ऊंटनी का गर्भकाल 9 से लेकर 13 महीनों का होता है।
- यह जानवर ज्यादातर रेतीले एवं गर्म इलाकों में पाए जाते हैं।
- एक ऊंट वजन 1200 पौंड तक होता है।
- प्राचीन समय में ऊँटों का प्रयोग युद्ध लड़ने में भी किया जाता था।
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