Black crow story in Hindi – अमरवन मैं बहुत से पशु पक्षी रहते थे इसी जंगल में कालू कौवा भी रहता था कालू का जहन्नाम उसके काले रंग के कारण पड़ा था वैसे कालू बहुत नेक और सीधे स्वभाव का था वह सभी के साथ मिलजुल कर रहना चाहता था परंतु उसके काले रंग और भद्दी आवाज के कारण सभी उस से नफरत करती थी जब वह किसी से बात करना चाहता था तो इसके बदले केवल उसे झिडकियां ही मिलती थी अपने प्रति दूसरों का यह व्यवहार देखकर बेचारे कालू का मान रो पड़ता रोने के अलावा वह कर भी क्या सकता था आवाज और रंग बदलना उसके हाथ में नहीं था सुबह सुबह जब मुर्गा बांग देता तो कालू भी बड़े प्रसन्न मन से नीम के पेड़ पर बैठकर कांव-कांव करने लगता जहां मुर्गे की बांग सुनकर सभी अपने-अपने घरों से निकलकर काम पर चल पड़ते वही कालू की कांव-कांव सुनकर उसे बुरा भला कहते और बच्चे मुंह बनाकर उसे चिढ़ाते यह सब सुनकर खुशी से झूमते कालू की आंखों में आंसु आ जाते बेचारा उड़कर किसी एकांत जगह पर अपने सफ़र में गाकर अपने दुख को शांत कर लेता।

बरसात आने वाली थी सभी जंगल वासी अपने अपने घरों को बनाने और भोजन इकट्ठा करने में जुटे थे कालू ने भी नीम के पेड़ की एक डाली पर अपना छोटा सा घर बनाया था उसने पूरी बरसात के लिए ढेर सारा भोजन भी एकत्र कर लिया था वह अन्य पक्षियों के साथ भोजन की तलाश में जाने की सोचता परंतु उसकी किसी से यह कहने की हिम्मत नहीं होती थी कि मुझे भी अपने साथ ले चलो क्योंकि वह जानता था कि कोई उसे अपने साथ नहीं ले जाएगा एक दिन सुबह सुबह जब कारू अपने घोंसले से बाहर निकला तो उसने देखा कि उत्तर दिशा से बड़े जोर का तूफान उठ रहा है उस दिन मुर्गा भी सुबह की ठंडी ठंडी हवा में खर्राटे ले रहा था कालू ने चारों ओर नजरें लड़ाई जंगल के अधिकांश पशु-पक्षी सो रहे थे।कालू ने मन ही मन सोचा के जरिए ने पशु पक्षियों को जगाया ना गया तो तूफान में वह सब मारे जाएंगे यह सोचकर उसने अपनी मोटी आवाज में चिल्ला चिल्ला कर उनको जगाना शुरू कर दिया उसकी कर्कश आवाज सुनकर कुछ तो मान ही मान उसे गाली देते हुए अपने अपने घरों से बाहर निकले और कुछ यह सोच कर सोते रहे कि सुबह-सुबह चलाना तो कालू की आदत है जो पशु पक्षी अपने घरों से बाहर आए थे वह सब तूफान देखकर अपने जरूरी सामान तथा बच्चों सहित सुरक्षित स्थान की ओर भागने लगे।
कालू बिकाऊ काम करता हुआ उड़ चला लेकिन वह सबसे पीछे चल रहा था यह देखकर चुलबुल चिड़िया मीठी आवाज में चेक कर बोली तुम पीछे क्यों हो हमारे साथ साथ चलो ना चुलबुल की बात सुनकर कालू की खुशी का ठिकाना ना रहा पहली बार कोई उससे इतने प्यार से बोला था वह तुरंत उसके पास आ गया पास आने पर चल बल्ले कालू से कहा भैया जदीद आज तुम ना होते तो हम सब तूफान में फंस कर मर गए होते चुलबुल की बात का ने पक्षियों ने भी समर्थन किया तभी पिंकी मीणा पंख फड़फड़ा ते हुए बोली कालू दादा मुझे माफ कर दो अब मैं आपको कभी नहीं खिलाऊंगी आज मुझे पता लग गया है कि किसी के रंग और आवाज को नहीं बल्कि उसके गुणों को देखना चाहिए अपने चारों और ढेर सारे पक्षियों को देखकर कालू का मान बलियो उछल रहा था उसने तुरंत सबको माफ कर दिया तूफान खत्म होने के बाद वह अमरवन लौटा जंगल के अधिकांश पेड़ तूफान में गिर गए थे कुछ पेड़ों के नीचे कुछ पक्षी भी दबे पड़े थे जिन्हें वह पक्षी थे जिन्होंने कालू की बात पर ध्यान नहीं दिया था यह देखकर कालू बहुत दुखी हुआ।
डॉक्टर देशबंधु शाहजहांपुरी
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