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फूल के बीज और राजा की कहानी

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राजा और फूल के बीज की कहानी 

प्राचीन समय में एक राजा रहता था। वह प्रकृति से बहुत प्यार करता था। जो भी पौधा वह लगाता, वह फल-फूल उठता। फूल, झाड़ियां, यहां तक कि बड़े फलों के पेड़ उग आए। मानो कि कोई जादू हो गया हो। प्रकृति की सभी चीजों में से फूलों से उसे बेहद प्यार था। वह अपने बगीचे की देखभाल रोज अपने आप करता था, लेकिन अब राजा बहुत बूढ़ा हो गया था। उसे सिंहासन का उत्तराधिकारी चुनना जरूरी था। राजा फूलों को बेहद प्यार करता था इसलिए उसने फैसला किया कि फूल ही इस चुनाव में उसकी सहायता करेंगे। अगले दिन उसने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि “राज्य के सभी स्त्री, पुरुष, लड़के और लड़कियां महल में आएं।” इस खबर से पूरे राज्य में एक उत्तेजना फैल गई।

वहां से थोड़ी ही दूरी पर एक गांव में एक लड़की रहती थी। उसका नाम सेरेना था, वह हमेशा राज भवन में जाना चाहती थी और राजा को देखना चाहती थी। इसलिए उसने जाने का फैसला किया। वह राजमहल गई। राजमहल बहुत भव्य था। सोने का बना हुआ था। इसमें हर रंग के और हर तरह के जवाहरात जड़े हुए थे- हीरे, माणिक, मोती, रत्न आदि। राजमहल बहुत जगमगा रहा था। सेरेना को ऐसा अनुभव हुआ कि वह इस जगह को हमेशा से जानती थी। राजमहल के द्वारों से होती हुई वह दरबार में जा पहुंची।

वहां लोगों की भीड़ देखकर वह दंग रह गई। बहुत शोरगुल हो रहा था। उसने सोचा, “पूरा राज्य ही यहां आ गया है।” तभी सौ नगाड़ों की आवाज सुनाई दी, जो राजा के आने की घोषणा थी। सब तरफ खामोशी छा गई। राजा ने दरबार में प्रवेश किया। उनके हाथ में बक्से जैसी कोई वस्तु थी। राजा बहुत ही दिव्य दिखाई दे रहा था। उन्होंने पूरे दरबार का चक्कर लगाया, हरेक का अभिवादन स्वीकार किया। राजा ने हरेक को कोई-न-कोई चीज उपहार में दी। सेरेना को यह जानने की बेहद जिज्ञासा थी कि आखिर छोटे बक्से में क्या है जिसे राजा सबको दे रहा है। 

अंत में राजा सेरेना के पास पहुंचा। उसने सम्मान से सिर झुकाया। उसने देखा कि राजा ने बक्से में से फूल का बीज निकाल कर उसे दिया। फिर एक बार नगाड़ों की आवाज से दरबार गंज उठा। सभी खामोश हो गए। राजा ने घोषणा की कि “जो कोई भी वर्ष भर में मुझे सबसे सुंदर फूल दिखाएगा, वही मेरे सिंहासन का उत्तराधिकारी होगा।”

सेरेना घर के लिए चल दी। वह राजमहल और राजा की भव्यता को याद करती जाती थी। वह अपने हाथ में सावधानी से फूल के बीज को पकड़े थी। उसे विश्वास था कि वह सबसे सुंदर फूल उगाएगी। उसने बढ़िया मिट्टी से एक गमले को भरा। सावधानी से बीज को उसमें बो दिया। उसमें हर रोज पानी देने लगी। वह उसमें कल्ले फूटने, बढ़ने और एक शानदार फूल में विकसित होते देखने के लिए बहुत उत्सुक थी।

दिन गुजरते गए। लेकिन गमले में कुछ नहीं उगा। सेरेना को चिंता होने लगी। उसने बीज को अब एक बड़े गमले में लगा दिया। इसमें बहुत बढ़िया मिट्टी भर दी। हर दिन दो बार पानी देने लगी। दिन, सप्ताह और महीने गुजरते गए, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

धीरे-धीरे पूरा साल बीत गया और एक बार फिर राजभवन में जाने का समय आ गया। सेरेना का दिल टूटा हुआ था कि उसके पास राजा को दिखाने के लिए कोई फूल नहीं है। छोटा-सा किल्ला भी फूटा हुआ नहीं है। उसने सोचा कि हर व्यक्ति उस पर हंसेगा क्योंकि साल भर बहुत प्रयास करने के बाद भी कुछ नहीं उगा। वह बिना फूल के राजा के सामने कैसे जाएगी? उसका मित्र राजमहल के रास्ते खड़ा था, उसके हाथ में एक बड़ा-सा फूल था। “सेरेना, क्या तुम राजा के पास खाली गमले के साथ जा रही हो?” उसका मित्र बोला, “तुम मेरी तरह का एक बड़ा फूल नहीं उगा सकी?”

सेरेना के पिता ने यह बात सुन ली थी। उसने सेरेना को बांहों में भर कर उसे सांत्वना दी। उसने कहा यह तुम पर है कि तुम जाती हो या नहीं। तुमने अपना प्रयास किया और तुम्हारा सर्वोत्तम प्रयास ही राजा को देने के लिए काफी है। हालांकि वह जाने से हिचक रही थी, परंतु उसे यह भी लग रहा था कि उसे राजा की इच्छाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। साथ ही वह

राजा और राजमहल को फिर से देखना चाहती थी। इसलिए सेरेना एक बार फिर मिट्टी से भरा गमला अपने हाथ में लिए राजमहल को चल दी।

राजा को यह देखकर खुशी हुई कि उसका राजदरबार प्रजा से भरा हुआ था। सभी अपने-अपने सुंदर फूलों को हाथ में लिए उनका प्रदर्शन कर रहे थे। सबको उत्तराधिकारी चुने जाने की आतुरता थी। सभी फूल बहुत सुंदर थे।

अनेक रंग और रूप के फूल थे। राजा ने हर फूल को बारी-बारी से देखा। सेरेना अपना सिर नीचा किए एक कोने से दुबकी खड़ी थी। उसे लग रहा था कि सभी फूल एक-से-एक बढ़कर सुंदर हैं। राजा इनमें से चयन कैसे करेंगे? अंत में राजा, सेरेना के पास आ पहुंचे। सेरेना का राजा को देखने का साहस नहीं हुआ। “तुम खाली गमला क्यों लाई हो?” राजा ने प्रश्न किया।

“महाराज”, सेरेना बोली, “जो बीज आपने दिया था उसे मैंने गमले में लगाया और हर रोज पानी दिया, लेकिन वह नहीं उगा। मैंने इसे और अच्छे गमले में और अच्छी मिट्टी डालकर पुनः लगाया, परंतु फिर भी इसमें कल्ला तक नहीं आया। मैंने पूरे साल इसकी देखभाल की, परंतु कुछ भी नहीं उगा। इसलिए मैं बिना फूल का खाली गमला लेकर चली आई। जो कुछ अच्छा-से-अच्छा हो सकता था मैंने किया।”

जब राजा ने इन शब्दों को सुना तो एक मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गई। उसने सेरेना का हाथ पकड़ लिया। सेरेना भयभीत हो उठी। उसे डर था कि कहीं वह किसी मुसीबत में न पड़ जाए।

राजा उसे राजदरबार में सबके सामने लाया और भीड़ को संबोधित करते हए कहा, “मैंने अपना उत्तराधिकारी पा लिया है। सेरेना मेरे बाद शासन करने के योग्य है।” सेरेना असमंजस में पड़ गई। “लेकिन महाराज,” उसने कहा, “मेरे पास तो कोई फूल नहीं है। सिर्फ मेरे पास मिट्टी है।”

“हां” मुझे यही अपेक्षा थी। राजा बोला, “हरेक ने बीज कहां से प्राप्त किए, मैं नहीं जानता क्योंकि जो बीज मैंने पिछले साल दिए थे, वे सभी भुने हुए थे, वे उग नहीं सकते थे। सेरेना, मैं तुम्हारे महान साहस और ईमानदारी का प्रशंसक हूं कि तुम सच्चाई के साथ मेरे सामने आई। मैं तुम्हें अपना पूरा राज्य सौंपता हूं। तुम राजगद्दी की उत्तराधिकारी बनोगी।

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