Short Inspirational story in Hindi
एक संत के शिष्य की शिक्षा पूरी हो गई जाने से पहले संत ने उसकी सभी तरह से परीक्षा ली पर एक सबसे एहम परीक्षा अभी बाकी थी जब शिष्य ने वहां से जाने की आज्ञा मांगी उसके गुरु ने उसे कुछ दिन और वहां ठहरने के लिए बोला। शिष्य वहां रहकर पहले की तरह संत की सेवा करता रहा।
एक दिन संत ने अपनी कुटिया में धूनी जलाकर रख दी और कुछ समय के पश्चात शिष्य से बोला बत्स देखो तो धूनी में कुछ आग अभी भी बची है मुझे थोड़ी सी आग चाहिए जरा धूनी में से कुछ आग मुझे दे दो शिष्य में जब धूनी को हिलाकर देखा तो उसने कहा गुरु जी इसमें तो आग है ही नहीं गुरु जी में आपको दूसरी जगह से आग लाकर देता हूं। तभी संत बोले नहीं पुत्र तुम्हे नहीं और जाने की जरूरत नहीं है मुझे तो इस धूनी में ही आग दिखाई दे रही है उसके दर्शन हो रहे हैं, तुम मुझे इसी धूनी में से आग निकालकर दो।
शिष्य ने जब द्वारा धूनी को हिलाकर देखा तो उमें आग बिल्कुल भी नहीं थी शिष्य ने फिर अपने गुरु जी से बोला महाराज इसमें तो थोड़ी सी भी आग नहीं है जो में आपके लिए ला सकूं। किन्तु संत बार बार यही कहते रहे के इस धूनी में थोड़ी सी आग जरूर है तो शिष्य विनम्रता से हर वार यही कहता रहा के धूनी में आग नहीं है। यह चक्र काफी देर तक इसी तरह चलता रहा अंत संत ने अपने शिष्य को गले लगाते हुए कहा पुत्र तुम आखरी परीक्षा में भी सफल हुए में तो सिर्फ यही जांच रहा था के तुम्हारे अंदर अभी भी क्रोध की आग थोड़ी बहुत बची हुई है जा नहीं। किन्तु मुझे लगता है के तुमने उस पर पूर्ण रूप से विजय प्राप्त कर ली है संत ने शिष्य को आशीर्वाद देकर विदा किया।
अन्य कहानियां –
The post क्रोध की आग Short Inspirational story in Hindi appeared first on HindiPot.