Poem on Peace in Hindi
हवा के एक तेज़ झोकें ने
मेरे मन का दिया
बुझा दिया
उसने क्या पाया
और मुझे क्या मिला
अगर यही है जीवन
तो क्या मैंने जीवन जिया।
जाति धर्म पक्ष- पात,
मानवता का रक्त प्रतिघात
इसमें न तेरी जीत है
न है मेरी हार।
मन के मोती यूं ही बिखर गए
तो यहां आकर क्या लिया।
बुझा दिया न मन का दिया
मानव !
यदि जलाना है मन का दिया
तो सोचो …..
क्या मेरा था ?
मेरे हाथ में क्या था ?
मेरी में व अपनेपन से
मुक्त हो
तभी चलेगा फिर शाश्वत
शांति का दिया
मेरे मन का दिया। लेखक – अनुराधा अग्निहोत्री
अन्य लेख पढ़ें –
The post Poem on Peace in Hindi शांति पर कविता appeared first on HindiPot.