Hindi Kavita on Life
ढ़लता हुआ सूरज
दे रहा है संदेश
एक एक कर गया
बीत एक और दिन
बीत चला समय
बचपन चलता बना
फिर आया यौवन
बुढ़ापा भी सामने खड़ा
धीरे धीरे खुल रही है
जीवन की किताब
परत दर परत
खाली हैं आएं
खाली ही चले जाना।
झाकंता है सूरज
मेघों के बीच से
देता है धीरज
यहीं है जीवन
तू जीवन से सींख रे।
मत घबराओ
आ जाओ आ जाओ
मत हो निराश
करो पुन: आगाज
मत हो उदास
आएगा दिन ख़ास
न हो निराश
जीवन है ख़ास (लेखक – वीरेन्द्र शर्मा)
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