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Poem on Banyan Tree in Hindi बरगद पर कविता

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Poem on Banyan Tree in Hindi

चलो सुस्ता लें बरगद की छांव में
दादा ने ही लगाई थी अपने ही गाँव में
वे कहते थे हमें जब छोटा था में banyan tree
तभी लगाया था बरगद को

जंगल से निकालकर
मां ने देख गुस्से में
खूब डांट लगाई थी

में खूब रोया था
माँ यह सब देखकर
तनिक न रह पायी थी
वह भी रोते -रोते बरगद को
घर के पीछे लगवाया था

कड़ी मेहनत के बाद
बड़ा हो गया बरगद
धुप के लाल शोलों से
बचाता है वह बरगद
बरगद की छांव में

सुस्ताते हैं अब लोग
शुद्ध -शुद्ध हवाओं से
कम होता है अब रोग
दादा तो अभी नहीं रहे
रहा बरगद ही निशानी
जाते -जाते दादा जी ने
सुनाई हमको यह कहानी। – मुनटुन राज

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