Short poem on Garden in Hindi – park par kavita
पार्क में हरी भरी घास लगी है
आंखों को कैसी भली लगती है
चारों ओर कई पेड़ खड़े हैं
पार्क के प्रहरी से लगते हैं
कुछ बच्चे झूला झूल रहे हैं
कुछ फिसलपट्टी पर फिसल रहे हैं।
बैंच पर कई बूढ़े बैठे -लेटे हैं
आपस में बतलाते -कहते सुनते हैं
एक कोने में कुछ कुत्ते सोए हैं
धूप का आनंद वह भी लेते हैं
माली पौधों को पानी दे रहा है
सूखी पत्तियां भी बटोर रहा है।
लेखक – ओम प्रकाश बजाज
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