Essay on Discipline in Student Life in Hindi
Anushasan Ka Mahatva Essay (Nibandh)![Discipline]()
मानव के जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति अनुशासन में नहीं रह सकता वह अपने जीवन को कभी खुशहाल नहीं कर पाता। अनुशासन एक ऐसा गुण है जिसकी इंसान को जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यकता पडती है घर -परिवार में अनुशासन का विशेष महत्व है बड़ों का आदर करना छोटों से प्यार करना परिवार के अनुशासन के अभिन्न अंग हैं।
अनुशासन (Discipline) की एक अच्छी उदाहरन हम कुदरत से ले सकते हैं सूरज और चन्द्रमा रोजाना अपने नियत समय पर उदय और अस्त होते हैं इसी प्रकार दिन और रात का चक्र भी अपने अनुशासन पर ही चलता है। धरती अपनी धुरी पर लगातार घूमती रहती है वायु सदैव गतिमान रहती है इसी प्रकार तारे और अन्य ग्रह भी नियमों में बंधे होने के कारण कार्यशील रहते हैं। इसी तरह यदि कुदरत अपने नियमों का पालन करना छोड़ दे अर्थात सूरज जा चन्द्रमा उदय जा अस्त होना ही छोड़ दें तो हमारे जीवन में उथल पुथल पैदा हो जायेगी हमारा जीवन संकट में आ जाएगा।
यदि कोई इंसान अनुशासन (Discipline) का पालन करना छोड़ दे तो उसका जीवन भी अस्त -व्यस्त हो जाता है इसी तरह अनुशासन को ही जिन्दगी का महत्वपूर्ण अंग समझा जाना चाहिए। सच्चा अनुशासन ही मनाव को पशु जीवन से उपर उठाकर वास्तव में मानवता सिखाता है क्योंकि अनुशासन के बिना मानव जीवन पशु के समान है।
विदार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व होता है अनुशासन में रहकर ही विदार्थी सफलता हासिल कर सकता है अच्छी शिक्षा आदमी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है एक विद्दार्थी को पाठशाला के नियमों के अनुसार चलना पढ़ता है अपने गुरु का आदेश मानना पड़ता है एसा करने पर वह एक चरित्रवान , आदर्श और योग्य नागरिक कहलाता है। विदार्थी जीवन में बच्चे का मानसिक और शरीरक विकास दोनों होते हैं इसीलिए उसका भविष्य सुखी बनाने के लिए अनुशासन का पालन करना पड़ता है। छात्र जीवन में ही सीखी गयी बातें आगे काम आती हैं। इसीलिए हर छात्र को व्यर्थ की बातों में ना पड़कर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए यह तभी संभव है जब छात्र अनुशासन में रहकर शिक्षा प्राप्त करे।
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु तथा शासन जिसका शाब्दिक अर्थ है शासन – नियम और अनु – पालन। अनुशासन दो प्रकार का होता है एक दंड के भय से जो किसी उपर थोपा गया हो जिसे बाहरी अनुशासन कहते हैं और दूसरा ख़ुद की इच्छा से जिसे आंतरिक अनुशासन कहते हैं। आंतरिक अनुशासन मानव के भीतर से पैदा होता है इसमें किसी प्रकार का बोझ नहीं समझा जाता और सभी नियमों का पालन किया जाता है।
इसीलिए जिन्दगी के हर मोड़ पर अनुशासन का विशेष महत्व है अनुशासन से ही मानव का पूर्ण विकास संभव है। इस से भागने की वजाय इसका पालन करना सीखें।
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