Onam Festival Essay in Hindi -जिस तरह से पोंगल तमिलनाडु का खास त्योहार है उसी तरह ओणम केरल का, केरलवासी यह पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं। ओणम शब्द सावन का ही पर्यायवाची है क्योंकि मलयाली संभवता के आधार पर यह सावन का ही महीना होता है यह त्यौहार अगस्त और सितंबर के महीनों में आता है।
माना जाता है कि किसी समय राजा महाबली का राज्य केरल में हुआ करता था वह बड़ा ही दानी राजा समझा जाता था। एक बार उसकी दानवीरता के किस्से सुनकर विष्णु भगवान ने ब्राह्मण का रूप धारण कर उसकी परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने राजा महाबली से तीन पग पृथ्वी मांगी। महाबली राजा ने उनकी ये मांग स्वीकार कर ली।
भगवान विष्णु ने 2 पदों में ही पूरा संसार नाप लिया जब तीसरा पग नापने के लिए जगह ही नहीं बची तो राजा ने अपने आपको भगवान के सामने पेश कर दिया विष्णु ने एक पैर में बलि को ही नाप लिया भगवान विष्णु के पैर तले दब कर जब राजा पताल लोक जाने लगा तो उसने ब्राह्मण का रूप धारण किए विष्णु से एक वरदान मांगा कि उसे हर वर्ष अपने पूरे राज्य में आने की इजाजत दी जाए ता जो वह अपने राज्य में आकर लोगों के सुख-दुख को जान सके।इसी पुराणिक कथा के आधार पर हर वर्ष केरल राज्य में ओणम का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
Onam Festival Katha in Hindi
इस त्यौहार से संबंधित एक और कथा भी प्रचलित है कि एक बार परशुराम ने सारी पृथ्वी जीतकर ब्राह्मणों को दान में दे दी थी। तब परशुराम को खुद के रहने की समस्या उठ खड़ी हुई उन्होंने सहयाद्रि पर्वत की गुफा में बैठकर वरुण देव की पूजा की वरुण देव ने खुश होकर परशुराम से कहा कि यदि वह अपना परशु समंदर में फेंके वह जहां भी गिरेगा वहां की सारी भूमि उसकी हो जाएगी परशुराम ने उसी तरह किया इस प्रकार जो भूमि उन्हें मिली वह वर्तमान में केरल की भूमि है इस घटना की याद में केरल के लोग इस त्योहार को बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
Importance of Onam –
ओणम का यह पर्व बड़ा ही मनभावन होता है और इस पर्व से काफी पहले से ही इस की तैयारियां शुरू होने लगती है घरों को सजाया जाने लगता है और लोग अपने घरों में भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित कर दिया जाता है खास प्रकार के भोजन तैयार किए जाते हैं इसे पूवक कहते हैं इस अवसर पर स्त्रियां थप्पतिकली नाम का नृत्य भी करती है लप्पण भी गाती हैं।
ओणम का तिरु ओणम के दिन मनाया जाता है इस दिन सभी लोग नए नए वस्त्र पहनते हैं और सावन देव की पूजा भी करते हैं। लड़कियां वाल्लसन नाम का पकवान की भेंट चढाती है। लड़के तीर चलाकर इस भेंट को प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं।
ओणम का पर्व श्रावण मास में 5 दिनों तक मनाया जाता है किसान इस पर्व से पहले अपनी फसलों की कटाई कर लेते हैं घरों को साफ-सुथरा बनाया जाता है उन्हें सजाया जाता है लोग अपने घरों को फूलों से सजाते हैं महाबली की मूर्ति को सजाते हैं उसकी पूजा करते हैं इस मौके पर चावल के विभिन्न प्रकार के पकवान भी तैयार किए जाते हैं इस दिन का सबसे प्रमुख आकर्षण होता है पानी में लंबी नौका दौड़ पानी में सुंदर-सुंदर नौकाएं दौड़ाई जाती है उस पर सवार सैकड़ों लोगों खुशियां मनाते हैं दूर-दूर से लोग इस नौकाएं की दौड़ को देखने के लिए पहुंच जाते हैं लोग परंपरागत पोशाक पहनकर गीत गाते हैं और नौका चलाते हैं दौड़ में जिस नाव की जीत होती है उसे पुरस्कार दिया जाता है यह दृश्य देखने योग्य होता है इसे दूर-दूर से देखने के लिए पर्यटक पहुंच जाते हैं इस प्रकार केरलवासी महाबली के स्वागत में इस त्यौहार को मनाने के लिए पूरे साल भर प्रतीक्षा करते रहते हैं तीनों दिनों के बाद महाबली अपने लोग वापस चले जाते हैं।
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