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मोबाइल के बुरे प्रभाव पर निबंध Essay on the bad effects of mobile in Hindi

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Essay on the bad effects of mobile in Hindi – आज कितने ही काम हम स्मार्टफोन की मदद से कर सकते हैं। यह हमारी जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन गया है कि कुछ लोगों के लिए तो थोड़ी सी देर के लिए भी इससे दूर होना संभव नहीं है।
Essay on the bad effects of mobile in Hindi
 
घर बैठे बिल अदा करना हो, जा खाना ऑर्डर करना, अथवा दुनिया के किसी भी छोर पर मौजूद व्यक्ति से तुरंत बात ही नहीं वीडियो कॉल से उसे लाइव देखना तक संभव हो गया है परंतु ताजा ए रिसर्च मोबाइल फोंस के अधिक इस्तेमाल को लेकर चिंता जता रहे हैं।
 
एक हालिया रिसर्च के अनुसार मोबाइल इस्तेमाल करने वाले युवाओं के सिर के स्कैन चुकाने  वाले हैं इन सिरों में अब सींग जैसे उभार अधिक बड़े नजर आने शुरू हो गए हैं यानि मोबाइल अब इंसानों की हड्डियों को भी बदलने लगा है।
नई रिसर्च बायोमैकेनिक्स यानी जैव यांत्रिकी पर की गई है जिसमें सामने आया है कि जो युवा  सिर को ज्यादा झुकाकर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं उनकी खोपड़ी में सींग जैसे उभार तेजी से विकसित हो रहे हैं।
 
रिसर्च में 18 से 86 साल के एक हजार से अधिक लोगों की खोपड़ी की शिकायत की जांच की गई इसमें पाया गया कि 18 से 30 साल के युवाओं की खोपड़ी में सिंग नुमा उभारों का विकास    तेज है।
 
डॉक्टरों ने रिसर्च में पाया कि मोबाइल चलाते वक्त लोग अपने सिर को आगे पीछे की तरफ से लाया करते हैं ऐसे में गर्दन के निचले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है।
 
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड स्थित सन साइन कोस्ट यूनिवर्सिटी में हु इस रिसर्च में विस्तृत तरीके से इस समस्या के बारे में समझाया गया है। इसमें कहा गया है कि रीड की हड्डी से शरीर का वजन शिफ्ट होकर सिर के पीछे की मांसपेशियों तक जाता है।
 
गर्दन से सिर के पिछले हिस्से को जोड़कर रखने वाली हड्डियों पर विशेष रूप से अधिक दबाव पड़ता है क्योंकि मोबाइल का प्रयोग करते वक्त अधिक वक्त तक सिर झुकाए रखने से इनका जरूरत से अधिक इस्तेमाल होने लगता है। इंसान की खोपड़ी का वजन लगभग 5 किलो होता है ‌
 
इन मांसपेशियों के मजबूत तथा बड़े होने के साथ ही खोपड़ी भी इनके साथ लगते हिस्सों को बड़ा करने के लिए हड्डियों की नई परत बनाने लगती है यही वह सिंगनुमा उभार है।
 
दूसरे शब्दों में कहें तो अधिक वक्त तक मोबाइल तथा गैजेट्स में डूबे रहने की वजह से सिर में कनेक्टिंग टंडन और लिगामेंट्स में हड्डी विकसित होती है इसी का परिणाम है कि युवाओं में हुक या सींग की तरह की हड्डी बढ़ रही है जो गर्दन के ठीक ऊपर की तरह खोपड़ी से बाहर निकली होती है।
 
रीढ पर भी हो रहा है असर :
 
गत वर्ष भी एक ऑस्ट्रेलिया ना शोधकर्ता ने इस बात को लेकर चेतावनी दी थी कि ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो टेक्स्ट नैक से पीड़ित है।
 
उनके अनुसार किशोर तथा 7 साल तक के बच्चे कूबड़  तथा रीढ़ में असामान्य विकास के शिकार हो रहे हैं जिसकी वजह स्मार्टफोन से हमेशा चिपके रहने की उनकी लत है।
 
उनके अनुसार मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के लिए घंटों तक झुके रहने की वजह से उनके शरीर के कंकाल का आकार बदल रहा है इस दशा को उन्होंने टेक्स्ट नेक नाम दिया था क्योंकि घंटों तक झुक कर मोबाइल को देखते रहना इसकी सबसे बड़ी वजह है।
 
उनके अनुसार गत 2 वर्षों से इस समस्या से पीड़ित मरीजों का उनके पास आना काफी बढ़ गया है जो बड़ी चिंता का विषय है।
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