Udaipur History in Hindi राजस्थान के महाराजा उदय सिंह ने सन 1559 में उदयपुर को बसाया था। महराजा ने सन 1567 में इसे मेवाड़ की राजधानी बनाया था। उदयपुर शहर में हमें मारबल के महल तथा पहाड़ों की एक कतार के साथ झीलें ही झीलें दिखाई देती हैं इसीलिए इसे झीलों की नगरी कहा जाता है।
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यहां की पिछौला झील प्रेमियों की सैरगाह है यहां की हवेलियां और मंदिर बहुत मशहूर हैं यहां पर फतेहसागर झील, सहेलियों की बाड़ी तथा मशहूर म्यूजियम है इस देखने के लिए तमाम लोग आते रहते हैं। यहां शिल्पग्राम भी है जो जहां से 8 किलोमीटर दूर उतर पशिचम में स्थित है, यहां कई शिल्पी, अल्प कलाकारी तथा लोकगायक निवास करते हैं।
यहां से 14 किलोमीटर उतर पूर्व में एकलिंग कांप्लेक्स है, जिसमें 108 मंदिर बने हैं जो भगवान शिव को समर्पित हैं मेवाड़ के संस्थापक जो मेवाड़ वंश के थे, जिनका नाम बप्पा रखा था इन्हें एक महात्मा से विशेष आशीर्वाद प्राप्त हुआ था जो वहां रहते थे ये मुख्य मंदिर 16 वीं शताब्दी का है यह मंदिर मार्बल तथा ग्रेनाईट का है। एकलिंग मंदिर के कुछ कुछ दूर नागदा स्थान है। यह भी देखने योग्य स्थल है यहं सास बहु मंदिर है यह विष्णु भगवान को समर्पित है यहां से 48 किलोमीटर दूर नाथ द्वार है, जो भगवान क्कृषण को समर्पित है इसके इलावा यहां दर्शनीय स्थल भी हैं।
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