Michael Faraday Biography (Story) माईकल फैराडे का जन्म 22 सितम्बर 1721 ई: को हुआ वह एक गरीब परिवार से थे गरीबी के चलते उन्हें पढ़ने का मौका तक नहीं मिला और वह अपना पेट पालने के लिए अखबार बेचा करता था। कुछ समय तक इस काम को करने के बाद वह जिल्दसाज की दूकान पर जिल्द चढ़ाने के काम में लग गया। उसे पढ़ने में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी वह पुस्तकों पर जिल्द चढाते समय भी पुस्तक में लिखी सभी बातों को पढ़ता और नोटस करता रहता था।
एक दिन जब वह एक पुस्तक पर जिल्द चढ़ा रहा था तभी उसकी नज़र एक विद्दुत सबंधी लेख पर पड़ी वह लेख उसे बहुत ज्यादा अच्छा लगा उसे पढ़कर वह बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ उसने दूकान के मालिक से वह पुस्तक मांग ली और रातभर में उसने उस पुस्तक को पूरा पढ़ लिया इससे विद्युत् सबंधी लेख पढ़ने की उसकी जिज्ञासा बढ़ती गयी और धीरे -धीरे वह प्रयोग एवं परिक्षण के लिए विद्दुत सबंधी छोटी मोटी चीजों की जानकारी जुटाने लगा।
अब तो लोग उसकी प्रतिभा के कायल बनते जा रहे थे एक तो ग्राहक उससे बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ उसने तय कर लिया के वह बालक को आगे बढने में उसकी पूरी सहायता करेगा।
वह एक दिन उसे अपने साथ भौतिकशास्त्र के महान विद्द्वान डेवी का भाषण सुनने के लिए ले गया उस बालक ने डेवी की बातों को बड़ी गंभीरता से सुना और उन्हें नोट भी करता रहा। इसके बाद बालक ने डेवी के भाषण की समीक्षा करते हुए अपने परामर्श लिखकर डेवी को भेज दिए। डेवी भी बालक के सुझावों से बहुत प्रभावित हुआ। इसीलिए उन्होंने अपने यंत्रों को व्यवस्थित करने के लिए अपने पास काम पर रख लिया। बालक वहां पर नौकर और सहयोगी दोनों की भूमिका बाखूवी निभाता था।
वह दिनभर अपने कामों में लगा रहता और रात के समय अध्यन करता रहता थकान होने पर भी वह अपने अध्यन में लगा रहता वह दिन रात अपने अध्यन के बारे में सोचता रहता उसे वाधाओं की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी इसी तरह यह बालक अपनी मेहनत और रूचि के दम पर आगे जाकर माईकल फैराडे के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
फैरेडो ने डायनेमो का आविष्कार किया जिसके सिध्दांत पर ही मोटर और जनरेटर चलते हैं।
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