कितना में खुशनसीब हो जाता
गर तू मेरे करीव हो जाता।
जो परिंदा मिला है सनम से यूं
काश में भी मुनीब हो जाता।
तुझमें बस में दिखाई यूं दूं
इतना मेरे करीब हो जाता।
गर न होते शहीद शरहद पर
मुल्क कितना गरीब हो जाता।
टूटती ही न डोर साँसों की
गर वो मेरा तबीब हो जाता।
जो नहीं हमसफर नहीं मिला मुझको
कोई तो फिर रकीब हो जाता। – (आरती लोहनी)
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