एक दिन की बात है अकबर बादशाह को किसी मसले पर सलाह के लिए बीरबल की बहुत जरूरत थी बीरबल के नियत समय पर दरबार में न पहुँचने पर उन्हें बुलाने के लिए एक आदमी भेजा गया।
बीरबल ने कहा बादशाह से जाकर कहो के बीरबल लड़के को फुसला रहे हैं थोड़ी देर में आते हैं। जब थोड़े समय तक बीरबल न पहुंचा तो अकबर का आदमी बीरबल को लेने फिर आया। अब भी बीरबल ने फिर वहीँ जवाब दिया। तीसरी बार बुलाने गए तो अकबर बहुत नाराज हुआ। बादशाह ने कहा लड़का फुसलाने में इतनी देर लगती है क्या ?
बीरबल ने कहा “हजूर लड़का फुसलाना भी बहुत कठिन कार्य है।
कुछ नाहिंन होता लाओ कोई लड़का में उसे फुसलाकर दिखाता हूं। तभी बीरबल ने बोला हजूर अभी तो कोई मचला हुआ बच्चा नहीं मिलेगा थोड़ी देर के लिए में ही बच्चा मन जाता हूं। हजूर आप तो सब के माँ -बाप हैं आप मुझे फुसला दीजिए।
“चलो ठीक है” अकबर ने बोला
बीरबल उऊ उऊ करके ठुनकने लगा।
akbar ने बोला बच्चे तुम्हे क्या चाहिए ?
हाथी लूँगा।
अकबर के यहां भला हाथियों की क्या कमी थी एक बड़ा हाथी आ गया फिर भी बीरबल का ठुनकना बंद नहीं हुआ।
अब क्या चाहिए बादशाह ने पूछा
एक मटका लाओ बीरबल बोला
तुरंत एक मिट्टी का मटका लाया गया फिर भी ठुनकना बंद नहीं हुआ तभी बादशाह ने पूछा अब क्या चाहिए ?
इस हाथी को मटके में डाल दो
बादशाह ने हैरानी से पूछा बीरबल तुम कैसी बात करते हो भला मटके में कहीं हाथी kaise समा सकता है ?
बीरबल ने कहा हजूर आप यह क्यों भूल जाते हों के में इस वक्त छोटा बच्चा बना हूं छोटे बच्चे से समझदारी की उम्मीद रखना तो हिमाकत ही है कब क्या बात उसके दिमाग में आएगी उसका कोई ठिकाना नहीं रहता।
इसीलिए मैंने पहले ही महाराज से बोला था के लड़का फुसलाना बहुत मुश्किल कार्य है।
आखिर बादशाह को बीरबल की बात माननी पड़ी।
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