Senior Citizen Essay in Hindi: बुजुर्गों के प्रति सम्मान का दिवस यानि के वरिष्ठ नागरिक दिवस हर वर्ष 21 अगस्त को मनाया जाता है। यह ऐसा दिन है जिस दिन बुज़ुर्गों को सम्मान एवं पहचान दी जाती है। अनुभव एक पाठशाला है जो बुज़ुर्गों में कूट -कूट कर भरी होती है। बुज़ुर्गों के पास लाड़-प्यार एवं अनुभव का खज़ाना होता है। जिनकी सबसे ज्यादा जरूरत हम सभी को होती है ख़ास कर युवाओं को।
एक वक्त था जब घर के बुज़ुर्ग को परिवार में बोझ नहीं समझा जाता था बल्कि उन्हें तो मार्ग -दर्शक के रूप में देखा जाता था किन्तु आज की जीवन शैली में बदलाव , आपसी विचारों में अंतर आदि कई कारणों से दोनों में मतभेद पैदा हो गए हैं जिस कारण आज की युवा पीढ़ी बुज़ुर्गों को ज्यादा सम्मान नहीं देती वह उनसे दूर रहना चाहती है और आज की नौजवान पीढ़ी और बुज़ुर्गों के बीच तनाव की मुख्य वजय दोनों की सोच व् समझ में तालमेल का अभाव है उनकी आज़ादी में रोक -टोक करने वाले बुज़ुर्ग उन्हें नापसंद हैं जिस कारण वह बुज़ुर्गों से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। जिस वजय से ज्यादातर बुज़ुर्गों को वृद्धाश्रम में देखा जा सकता है।
बुज़ुर्ग तो घर की शान होते हैं वह तो बस घर में सम्मान और प्यार के भूखे होते हैं अपने बच्चों की खातर सारी जिंदगी दांब पर लगा देने बाले बुज़ुर्ग केवल प्यार भरे शब्दों के भूखे होते हैं यदि हम सम्मान से इन्हे घर में स्थान देंगे तो शायद ही ऐसा कोई वृद्धाश्रम हो जिसमें आपको कोई वृद्ध देखने को मिले।
किन्तु बुज़ुर्गों को भी चाहिए के वह युवाओं को आगे करें उन्हें अच्छे बुरे का निर्णय खुद करने दें और गलती करने पर उन्हें टोकें किन्तु हर कार्य में बार टोकना उचित नहीं होता और युवाओं को भी चाहिए के वह भी अपने बड़ों की बात को ध्यान से सुने और उनका सम्मान करें और उनकी बातों पर अमल करने की कोशिश करें फिर देखना आपसी तालमेल कैसे बनता है।
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