Karl Marx biography in Hindi कार्ल मार्क्स का जीवन परिचय
महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के शहर त्रियेर में हुआ था। उनकी शिक्षा का ज्ञान ‘मार्क्सवाद’ कहलाता है प्राथमिक शिक्षा के बाद माकर्स ने बोन और बर्लिन यूनिवर्सिटी से कानून, इतिहास और दर्शनशास्त्र की शिक्षा लेकर पदार्थवादी दार्शनिक प्रणाली के संस्थापक इपीक्यूरस 341- 370 पूर्वी यूनानी पदार्थवादी दार्शनिक थे।
दार्शनिकों की मंडली द्वारा स्वतंत्र विचारों का अखबार ‘राइनिश जाईटुंग निकाला गया, जिस के संपादक कार्ल मार्क्स थे मार्कस की क्रांतिकारी पक्ष से महान रचनाओं के कारण अखबार के पाठकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी हुकूमत ने खतरा समझकर अखबार पर पाबंदी लगा दी। इसी समय मार्कस ने अपने बचपन की दोस्त मंगेतर जैनी बाबा स्टीफन के साथ विवाह कर लिया उस महान महिला ने मार्कस की घरेलू कंगाली के बावजूद समाजवादी साहित्यिक रचनाएं में उनका बहुत साहस से साथ दिया।
भविष्य की योजना के अनुसार मार्कस जर्मनी छोड़कर 1843 में पेरिस पहुंच गए वह मार्कस ने फ्रांसीसी समाजवाद के सिद्धांत का गहरा अध्ययन किया यही इंग्लिश में मार्कस को राजनीतिक आर्थिक किताब पढ़ने संबंधी प्रेरित किया मार्कस ने सुधारवादी अखबार वार्ड मैं संपादन का कार्य शुरू कर दिया नौकरशाही ने खबर पर पाबंदी लगा कर आदेश दे दिया कि मार्कस 24 घंटे के भीतर पेरिस छोड़ दे माकर्स बेल्जियम पहुंच गए अंतरराष्ट्रीय League की ड्यूटी के अनुसार काल मार्कस और इंग्लिश में सभी देशों के ‘मजदूरों एक हो जाओ’ की सोच के अनुसार 24 फरवरी 1818 को श्रमिकों की क्रांतिकारी लहर का महान दस्तावेज कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो लिखा जिसका लगभग प्रत्येक भाषा में अनुवाद हो चुका है।
फ्रांस के सुखद माहौल को देखकर मार्कस 5 मार्च 1848 को पेरिस आ गया। श्रमिकों में बढ़ रही मार्कस की सक्रियता को देखकर सरकार ने केस दर्ज कर दिया मार्कस की प्रभावशाली वकालत की बदौलत अदालत ने मार्कस को बरी कर दिया मार्कस फिर 8 अप्रैल 1848 को अपने वतन जर्मन आ गए और इंकलाबी गतिविधियां शुरू कर दी मार्कस समर्थक इंकलाबियों को सफलता ना मिली और सरकार ने मार्कस को 24 घंटे के भीतर ही जर्मन छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया सरकारों ने समाजवादी विचारधारा को चलने हेतु मार्कस तथा उनके परिवार पर गौर जुल्म की एक पूंजीवादी प्रबंध द्वारा मार्कस को बार बार निर्वाचित किया गया मार्कस का परिवार गरीबी का शिकार हो गया।
मार्कस कई बार अपनी रोटी का हिस्सा अपने भूखे बच्चों को खिला देते थे डॉक्टरों ने मार्क्स के स्वास्थ्य का निरीक्षण कर के कहा कि मार्क्स की दिमागी क्षमता और भोजन की कमी के कारण बीमार रहते हैं परिवार की गरीबी भरी जिंदगी होने के कारण मार्क्स के दो प्यारे बच्चों की मौत हो गई मृतक की बहादुर पत्नी ने उनका हमेशा साथ दिया निर्वासन के दौर में जैनी कुछ ना कुछ जुगाड़ करके परिवारसहित मार्क्स के पास पहुंच जाती थी उस बहादुर जोड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और मार्क्स ने मानवता को गरीबी से निकालने के लिए क्रांतिकारी और साहित्य का संघर्ष जारी रखा समाजवादी साहित्य रचकर साबित कर दिया के पूंजीवादी प्रबंध मनुष्य की बेरहमी से लूटकर करता है अमीर गरीब का अंतर बढ़ने से लोग बेरोजगार और गरीबी का संताप भोंकते हैं उधर समाजवादी प्रबंध के अधीन मनुष्य के हाथों लूट समाप्त हो जाती है और समाज में प्रत्येक व्यक्ति को कार्य करने के समान अधिकार मिलने से समूह रुप में लोग खुशहाल होते हैं इस रोशन दिमाग अर्थात कार्ल मार्क्स की मौत 14 मार्च 1883 को हो गई।
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