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Friendship story in Hindi | दोस्ती का प्रमाण हिंदी कहानी

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Friendship story in Hindi | दोस्ती का प्रमाण हिंदी कहानी

friendship story in Hindi

Dosti ki kahani 

वैसे तो पूरी कक्षा की लड़कियों से आशा की दोस्ती थी लेकिन अंजली की बात ही कुछ और थी कक्षा में दोनों की जोड़ी प्रसिद्ध थी केवल पढ़ाई में ही नहीं खेलकूद में भी दोनों बहुत तेज थी हर वर्ष खेलकूद की वार्षिक प्रतियोगिता में दोनों की जमकर होड़ होती थी।
 
इस बार भी खेलकूद प्रतियोगिता के वार्षिक समारोह की घोषणा हुई सभी खिलाड़ियों के साथ आशा और अंजलि ने भी अपना अपना नाम लिखवा कर्म अभ्यास करना शुरू कर दिया था इस बार इन दोनों में यह होड़ लगी थी के 200 मीटर की दौड़ में प्रथम पुरस्कार कौन जीतता है।
 
पिछले 2 दिनों से अंजली स्कूल नहीं आ रही थी 3 दिन बाद ही प्रतियोगिता थी अंजली के बिना आशा का मानदेय खेलों का अभ्यास करने में नहीं लग रहा था।
 
छुट्टी होते ही वह सीरी अंजली के घर जा पंछी दरवाजे पर पहुंच कर उसने धीरे से घंटी का बटन दबाया को कुछ क्षण बाद अंजली की मां ने दरवाजा खोला।
 
नमस्ते आंटी जी आशा ने हाथ जोड़कर नमस्ते किया अंजलि की माउस के अभिवादन का उत्तर देकर उसे अंदर ले गई कमरे में घुसते ही आसानी देखा के अंजलि पलंग पर लेटी सो रही है।
 
अंजली देखो तो कौन आया है मां ने उसे जगाते हुए कहा मां की आवाज सुनकर अंजलि ने धीरे से आंखें खोली सामने आशा को देखकर उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान फैल गई।
 
यह तूने क्या हाल बना रखा है अंजलि आशा ने पलंग के एक कोने पर बैठते हुए का पूछा।
 
उस दिन पापा के संग डॉक्टर अंकल के यहां गई थी उन्होंने एक्स-रे करवाया था एक्सरे देखकर उन्होंने बताया था कि हड्डी नहीं टूटी है लेकिन मोच आ गई है सूजन धीरे धीरे जाएगी अंजलि ने बताया तभी मां चाय बना कर ले आई चाय पीते पीते उन्होंने आशा से कहा बिटिया तू ही इसे समझा मैं तो समझा समझा कर हार गई अभी पैर में इतनी सूजन है लेकिन फिर भी खेलों में भाग लेने की रट लगा रखी है।
 
आंटी जी ठीक कहती है अंजलि खेलने से पैर में और सूजन बढ़ सकती है आसानी अंजलि की मां की हां में हां मिलाते हुए कहा तू भी मां का पक्ष ले रही है देखा अभी 3 दिन बाकी है ना मुंह तो ठीक हो गई है अब सूजन भी चली जाएगी देख लेना इस बार 200 मीटर की दौड़ में पहला इनाम में ही जीत होगी अंजलि ने मुस्कुराकर कहा सबके बार बार समझाने पर भी उसने खेलों में भाग लेने की जिद नहीं छोड़ी थी धीरे धीरे 3 दिन भी बीत गए अब अंजली के पैर की सूजन खत्म हो गई थी वह बड़े फुर्ती लेपन से सभी प्रतियोगिताओं में भाग ले रही थी कई खेलों में तो उसने प्रथम पुरस्कार भी जीत लिए थे।
 
अब 200 मीटर दौड़ की बारी आई सीटी बजते ही सभी प्रतियोगी तेजी से दौड़ने लगे अंजली सबसे आगे दौड़ रही थी दूसरे नंबर पर आशा थी तभी अचानक अंजली के दाएं पैर में झटका लगा और वह दर्द से पहचान हो गई उसकी दौड़ने की गति भी थोड़ी हल्की पड़ गई थी लेकिन दर्द की परवाह कि बिना उसने दौड़ना जारी रखा आशा अंजली की रफ्तार कम होते देखकर तुरंत समझ गई कि उसके पैर में जरूर दर्द शुरू हो गया होगा यह देखकर आशा का मन प्रसन्न होठों अब वह प्रथम पुरस्कार आराम से प्राप्त कर लेगी यह सोच कर उसकी गति बढ़ गई
तभी उसकी आत्मा ने मान को विकारा जे तू क्या सोच रही है आशा क्या तू नहीं जानती के अंजलि के पैर में चोट होने के बावजूद भी उसने दौड़ में भाग लिया केवल इसलिए कि वह पहला इनाम जीत सके यदि वह हार गई तो उसे कितना दुख होगा ऐसा सोचते ही आशा की रफ्तार चांद कम हो गई अंजलि ने दौड़ जीत ली थी आशा को दूसरा स्थान मिला था दौड़ खत्म होते ही वह अंजलि के पास आई और उसे पकड़कर कुर्सी पर बैठा दिया अंजलि के पैर का दर्द बहुत बढ़ गया था।
 
कुछ देर बाद पुरस्कार वितरण हुआ 200 मीटर की दौड़ का पहला इनाम लेने अंजलि लंगड़ आती हुई मंच पर पहुंची सा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था लेकिन सबसे ज्यादा तेजी से तालियां आशा बजा रही थी।
 
इनाम लेने के बाद अंजलि प्रधानाचार्य जी से आज्ञा लेकर माइक के पास पहुंच गई माई कने के सामने खड़े होकर उसने आशा की ओर देखा और फिर बोलना शुरू किया आदरणीय प्रधानाचार्य जी एवं उपस्थित साथियों मुझे 200 मीटर की दौड़ में प्रथम पुरस्कार अवश्य मिला है लेकिन मैं इसकी हकदार नहीं हूं इसकी असली हक़दार तू मेरी प्यारी सहेली आशा है जिसने खुद हारकर मुझे जताया है पैर में दर्द शुरू हो जाने के कारण मेरी दौड़ने गिरफ्तार बहुत कम हो गई थी लेकिन फिर भी वह मुझसे आगे नहीं निकली मुझे नाम दिलवाने के लिए उसने निश्चय ही अपनी गति को काम किया होगा। मुझे इसके ऐसा करने पर खुशी भी है और दुख भी खुशी इसीलिए क्योंकि इसने स्वयं हार कर अपनी दोस्ती का प्रमाण दिया है और दुख इसलिए क्योंकि इसने खेल को खेल की भावना से नहीं बल्कि दोस्ती की भावनाओं से खेला यह कहते-कहते उसकी आवाज भर्रा गई उसकी आंखों में आंसू भर आए।
 
वह धीरे धीरे लंगड़ आती हुई मंच से नीचे उतरी और आशा के पास जाकर अपना इनाम उसकी ओर बढ़ा दिया आशा की आंखों में भी आंसू दे रहे थे वह कुर्सी से उठी और अंजली के गले से लिपट गई दोनों की आंखों से दोस्ती के अटूट प्रेम की निर्मल धारा बह निकली सभी लोग इस अनुपम दृश्य को सांस रोक कर देख रहे थे।
 
क्या बताऊं आशा 2 दिन पहले जब मैं शाम को डेयरी से दूध लेकर आ रही थी तभी अचानक झटके से पैर तिरछा हो गया और एड़ी में मोच आ गई अंजलि ने अपना दायां पैर दिखाते हुए बताया।
 
अरे तेरे पैर में तो बहुत सूजन है इसमें तूने कोई दवा लगाई है या नहीं आसानी उसका पैर देखकर लगभग चिल्लाते हुए पूछा।
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